The Month of Kartik - कार्तिक मास

Ramlila : Traditional Indian Performance of Ramayana

Source : Complied from various published articles on Kartik Month

हिन्दु पंचांग (कैलेण्डर) के अनुसार पूरे वर्ष में बारह चन्द्र मास हैं। हर मास की अपनी-अपनी विशेषता है। प्रत्येक मास में अलग अलग देवों की आराधना भी निर्धारित है। इन बारह मासों में कार्तिक मास आठवें स्थान पर आता है। शास्त्रों में कार्तिक मास को बड़ा ही पवित्र मास माना जाता है। इस मास की विशेषता का वर्णन स्कन्द पुराण, नारद पुराण, पद्म पुराण में भी दिया गया है। स्कन्द पुराण में लिखा है कि सभी मासों में कार्तिक मास, देवताओं में विष्णु भगवान, तीर्थों में बद्रीनारायण तीर्थ शुभ है। पदम पुराण के अनुसार कार्तिक मास धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष देने वाला है।

कार्तिक पूर्णिमा शरद ऋतु की अन्तिम तिथि है। कार्तिक पूर्णिमा ब़डी पवित्र तिथि मानी जाती है। इस तिथि को ब्राहा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि का दिन माना गया है। इस दिन किए हुए स्त्रान, दान, हवन, यज्ञ व उपासना आदि का अनन्त फल प्राप्त होता है।  इस अवसर पर कई स्थानों पर मेले लगते हैं। इस तिथि पर किसी को भी बिना स्नान और दान के नहीं रहना चाहिए। स्नान पवित्र स्थान एवं पवित्र नदियों में एवं दान अपनी शक्ति के अनुसार करना चाहिए।

कार्तिक मास में एक हज़ार बार यदि गंगा स्नान करें और माघ मास में सौ बार स्नान करें, वैशाख मास में नर्मदा में करोड़ बार स्नान करें तो उन स्नानों का जो फल होता है वह फल प्रयाग में कुम्भ के समय पर दीपदान करने के लिए कार्तिक मास का विशेष महत्व है| कार्तिक मास में दीपदान करने से पाप नष्ट होते हैं। स्कंद पुराण में वर्णित है कि इस मास में जो व्यक्ति देवालय, नदी के किनारे, तुलसी के समक्ष एवं शयन कक्ष में दीपक जलाता है उसे सर्व सुख प्राप्त होते हैं। इस मास में भगवान विष्णु एवं लक्ष्मी के निकट दीपक जलाने से अमिट फल प्राप्त होते हैं। इस मास में की गई भगवान विष्णु एवं माँ लक्ष्मी की उपासना असीमित फलदायी होती है। शास्त्रों के अनुसार इस माह भगवान विष्णु चार माह की अपनी योगनिद्रा से जागते हैं| विष्णु जी को निद्रा से जगाने के लिए महिलाएं विष्णु जी की सखियां बनती हैं और दीपदान तथा मंगलदान करती हैं| इस माह में दीपदान करने से विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में छाया अंधकार दूर होता है| व्यक्ति के भाग्य में वृद्धि होती है| स्नान करने से प्राप्त होता है।

कार्तिक मास में तुलसी आराधना का विशेष महत्व है | पौराणिक कथा के अनुसार गुणवती नामक स्त्री ने कार्तिक मास में मंदिर के द्वार पर तुलसी की एक सुन्दर सी वाटिका लगाई उस पुण्य के कारण वह अगले जन्म में सत्यभामा बनी और सदैव कार्तिक मास का व्रत करने के कारण वह भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी बनी। इस मास में तुलसी विवाह की भी परंपरा है जो कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है। इसमें तुलसी के पौधे को सजाया संवारा जाता है एवं भगवान शालग्राम का पूजन किया जाता है। तुलसी का विधिवत विवाह किया जाता है।